राहुल गांधी का नया सियासी दांव – जम्मू-कश्मीर में चुनाव की मांग और राज्य का दर्जा

राहुल गांधी ने जम्मू-कश्मीर में राज्य का दर्जा बहाल करने और जल्द से जल्द “मुफ्त और निष्पक्ष” चुनाव कराने की मांग को लेकर एक बार फिर अपनी आवाज बुलंद की है। अपनी हालिया यात्रा के दौरान, उन्होंने जोर देकर कहा कि जम्मू-कश्मीर का राज्य का दर्जा छीनना एक अभूतपूर्व कदम था और इसका तुरंत पुनःस्थापन होना चाहिए। उनका मानना है कि दिल्ली से जम्मू-कश्मीर का संचालन करना न केवल अव्यावहारिक है बल्कि यह वहां के लोगों के अधिकारों का भी हनन है।

कांग्रेस का एजेंडा: राज्य का दर्जा और लोकतांत्रिक अधिकार

कांग्रेस का एजेंडा

राहुल गांधी ने इस बात पर जोर दिया कि कांग्रेस और उनके सहयोगी दलों का मुख्य उद्देश्य जम्मू-कश्मीर के लोगों को उनका राज्य का दर्जा और लोकतांत्रिक अधिकार वापस दिलाना है। उन्होंने कहा कि बीजेपी की केंद्र सरकार ने जम्मू-कश्मीर के लोकतंत्र को कमजोर किया है, और इसे बहाल करना आवश्यक है​।

चुनावी रणनीति और गठबंधन

इस सियासी दांव के तहत कांग्रेस ने नेशनल कॉन्फ्रेंस के साथ मिलकर आगामी विधानसभा चुनावों के लिए गठबंधन भी किया है। यह गठबंधन राज्य में राजनीतिक समीकरणों को नया मोड़ दे सकता है और बीजेपी के लिए एक चुनौती बन सकता है​।

निष्कर्ष

राहुल गांधी की यह मांग और उनके सियासी कदम जम्मू-कश्मीर में आने वाले चुनावों को लेकर एक बड़ा मुद्दा बन सकते हैं। इससे यह सवाल उठता है कि क्या राज्य का दर्जा बहाल करने की इस मांग से कांग्रेस को राजनीतिक लाभ मिलेगा या नहीं।

FAQ

  1. राहुल गांधी ने जम्मू-कश्मीर में क्या मांग की है?
    • उन्होंने जम्मू-कश्मीर का राज्य का दर्जा बहाल करने और मुफ्त और निष्पक्ष चुनाव कराने की मांग की है।
  2. कांग्रेस का इस मुद्दे पर क्या रुख है?
    • कांग्रेस का मुख्य उद्देश्य राज्य का दर्जा बहाल करना और जम्मू-कश्मीर के लोगों को उनके लोकतांत्रिक अधिकार वापस दिलाना है।
  3. क्या कांग्रेस ने किसी के साथ गठबंधन किया है?
    • हां, कांग्रेस ने नेशनल कॉन्फ्रेंस के साथ मिलकर आगामी विधानसभा चुनावों के लिए गठबंधन किया है।
  4. राहुल गांधी ने राज्य का दर्जा बहाल करने की मांग क्यों की?
    • उनका मानना है कि राज्य का दर्जा छीनना जम्मू-कश्मीर के लोगों के अधिकारों का हनन है और इसे तुरंत बहाल किया जाना चाहिए।
  5. क्या इससे जम्मू-कश्मीर की राजनीति पर असर पड़ेगा?
    • हां, इससे आगामी चुनावों में राजनीतिक समीकरण बदल सकते हैं और यह बीजेपी के लिए चुनौती बन सकता है।